अक्टूबर को पहला शुभ मुहूर्त प्रदोष काल में है. पहला मुहूर्त– शाम 5 बजकर 36 मिनट से रात 8 बजकर 11 मिनट के बीच रहेगा, जो प्रदोष काल का समय है. दूसरा मुहूर्त– शाम 6 बजकर 25 मिनट से लेकर रात 8 बजकर 15 मिनट तक रहेगा और ये पूजन वृषभ लग्न में होगा.
दिवाली 2024 कब है
दीपावली का त्योहार सबसे पहले रावण को हराकर भगवान राम के अयोध्या लौटने पर मनाया गया था। उस दिन कार्तिक मास की अमावस्या थी और अपने प्रभु श्रीराम के अयोध्या लौटने की खुशी में नगरवासियों ने घी के दीपक जलाकर खुशियां मनाई थीं। इस साल कार्तिक मास की अमावस्या 31 अक्टूबर को दोपहर में 3 बजकर 52 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन यानी कि 1 नवंबर की शाम को 6 बजे तक रहेगी। इसलिए अमावस्या तिथि दोनों दिन विद्यमान रहेगी। चूंकि दीपावली मां लक्ष्मी और काली की पूजा प्रदोष काल के बाद की जाती है इसलिए दीपावली की पूजा 31 अक्टूबर को की जाएगी और इसी दिन घर में दीपक जलाए जाएंगे। जो लोग दीपावली पर काली पूजा भी करते हैं वे भी 31 अक्टूबर को ही अपने घर में दीपावली मनाएंगे और इसी दिन मां काली की पूजा करेंगे। इसके अलावा जो लोग अमावस्या तिथि को दान, स्नान और अन्य पूजापाठ करते हैं उनको 1 नवंबर को ये कार्य करने चाहिए। जहां तक बात है दीपावली मनाने की तो यह त्योहार 31 अक्टूबर को ही मनाना तर्कसंगत होगा। इसके अलावा वैदेही, ऋषिकेश और विश्वविद्यालय पंचांग के अनुसार दीपावली का पर्व 31 अक्टूबर को सर्वसम्म्मत रूप से मनाया जाना चाहिए।
दीपावली का त्योहार सबसे पहले रावण को हराकर भगवान राम के अयोध्या लौटने पर मनाया गया था। उस दिन कार्तिक मास की अमावस्या थी और अपने प्रभु श्रीराम के अयोध्या लौटने की खुशी में नगरवासियों ने घी के दीपक जलाकर खुशियां मनाई थीं। इस साल कार्तिक मास की अमावस्या 31 अक्टूबर को दोपहर में 3 बजकर 52 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन यानी कि 1 नवंबर की शाम को 6 बजे तक रहेगी। इसलिए अमावस्या तिथि दोनों दिन विद्यमान रहेगी। चूंकि दीपावली मां लक्ष्मी और काली की पूजा प्रदोष काल के बाद की जाती है इसलिए दीपावली की पूजा 31 अक्टूबर को की जाएगी और इसी दिन घर में दीपक जलाए जाएंगे। जो लोग दीपावली पर काली पूजा भी करते हैं वे भी 31 अक्टूबर को ही अपने घर में दीपावली मनाएंगे और इसी दिन मां काली की पूजा करेंगे। इसके अलावा जो लोग अमावस्या तिथि को दान, स्नान और अन्य पूजापाठ करते हैं उनको 1 नवंबर को ये कार्य करने चाहिए। जहां तक बात है दीपावली मनाने की तो यह त्योहार 31 अक्टूबर को ही मनाना तर्कसंगत होगा। इसके अलावा वैदेही, ऋषिकेश और विश्वविद्यालय पंचांग के अनुसार दीपावली का पर्व 31 अक्टूबर को सर्वसम्म्मत रूप से मनाया जाना चाहिए।