इस बार श्राद पक्ष 17 सितंबर से शुरू होकर 02 अक्टूबर तक चलेगा ।
श्राद्ध का अर्थ अपने देवों, परिवार, वंश परंपरा, संस्कृति और इष्ट के प्रति श्रद्धा रखना है। हिंदू शास्त्रों में कहा गया है कि जो स्वजन अपने शरीर को छोड़कर चले गए हैं चाहे वे किसी भी रूप में अथवा किसी भी लोक में हों, उनकी तृप्ति और उन्नति के लिए श्रद्धा के साथ जो शुभ संकल्प और तर्पण किया जाता है, वह श्राद्ध है।
आपके पितृ ख़ुश होंगे, aashirwad प्राप्त होगा, पितृदोष समाप्त होगा और sukh samriddhi में बढ़ोतरी होगी।
- पितृपक्ष में प्रतिदिन सूर्यदेव को एक लोटा जल में काले तिल मिलाकर आर्पित करना चाहिए। ऐसा करने से आपको पितरों का aashirwad प्राप्त होगा और आपकी भाग्यरेखा 
इस दिन पितरों को तृप्त करने के लिए तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध करने की परंपरा है। बताया कि जिस परिवार में किसी सदस्य का देहांत हो चुका है। उन्हें मृत्यु के बाद जब तक नया जीवन नहीं मिल जाता तब तक वे सूक्ष्म लोक में वास करते है। शास्त्रों में मान्यता है कि इस दौरान पितरों का आशीर्वाद उनके परिजनों को मिलता है।